आवरण कथा

प्रकृति से हम हैं हम से प्रकृति नहीं

‘ परि और आवरण से मिलकर पर्यावरण शब्द बना है जिसका अर्थ है ?चारों ओर से घिरा हुआ।? नदी, तालाब, भूमि, वायु, पौधे, पशु-पक्षी आदि मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। पर्यावरण मनुष्यों के साथ-साथ धरती के सभी जीवों के जीवन को प्रभावित करता है। 150 सौ वर्ष पहले हुए औद्योगिक क्रांति ने दुनिया को मशीनीकरण और उपभोक्तावाद की ओर बहुत तेजी से भगाया। इस समय मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के लिए प्रकृति और उसके संसाधनों का जम कर उपयोग किया। आज प्राकृतिक संसाधनों की क्षति और धुआँ व रसायन के कारण होने वाले प्रदूषण ने पर्यावरण को बीमार कर धरती पर जीवन को संकट में डाल दिया है। शुद्ध पानी, स्वच्छ हवा, स्वस्थ मिट्टी और प्रदूषण मुक्त साफ-सुथरा परिवेश आज की सबसे बड़ी आवश्कता है। इसलिए पर्यावरण की रक्षा आज हमारा सबसे बड़ा धर्म है। ’’

प्रकृति से हम हैं  हम से प्रकृति नहीं

प्रायः बाढ़, अत्यधिक वर्षा, लू या शीत लहर से जूझते हमारे शहर अब जागने लगे हैं। जलवायु बजट लाने की अधिक चिंता और आवश्यकता दिल्ली व मुंबई में थी, पर इस मोर्चे पर अहमदाबाद नगर निगम ने बाजी मार ली है। यह अपने देश में आधिकारिक रूप से जलवायु बजट तय करने वाला पहला शहर बन गया है। देर-सबेर देश के सभी शहरों को ऐसा करना पड़ेगा। जलवायु जनित संकट नगर निगम व नगरपालिका के बजट पर निरंतर दबाव डाल रहे हैं।
अपने देश में अहमदाबाद जलवायु बजट पर ध्यान केंद्रित करने वाला विशेष शहर बन गया है। 25 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2025- 26 के बजट को मंजूरी मिलने के साथ, अहमदाबाद नगर निगम भारत का पहला शहरी स्थानीय निकाय बन गया, जिसने अपने मुख्य बजट के भाग के रूप में एक अलग जलवायु अध्याय जोड़ लिया है।
टिकाऊ और जलवायु बजट शीर्षक वाले इस अध्याय में अहमदाबाद नगर निगम के कुल बजट 15,502 करोड़ रुपये का एक तिहाई से अधिक 5,619.58 करोड़ रुपये जलवायु सुधार पर खर्च के लिए रखे गए हैं। निगम के अधिकारियों ने कहा है कि इस बजट का उपयोग अहमदाबाद को शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला शहर बनाने के लिए किया जाएगा। अहमदाबाद में जलवायु को शुद्ध करने के लिए लचीली कार्ययोजना लागू होगी, जिस पर जलवायु बजट खर्च किया जाएगा। ध्यान रहे, भारत को साल 2070 तक शून्य कार्बन लक्ष्य तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया है।


  Subscribe Now