अनुक्रमणिका
पृष्ठ क्र. 6

परा की चेतना में जो सहज स्वभाविक क्रियाशक्ति है वो और उसी के द्वारा सारा संहिता का गठन है, सारे विश्व ब्रह्माण्ड का विज्ञान उसी गठन में नित्य निरंतर प्राप्त है। इस समय चेतना जागृत हुई यो जागार तम ऋच: कामयन्ते ऋचायें भर आती हैं, ऋचाओं का उभरना, चेतना में ऋचाओं का उभरना...
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पृष्ठ क्र. 8

प्राथमिक शिक्षा बच्चे की मातृभाषा या उस भाषा में होनी चाहिए, जिसे वह जानता-समझता है। यदि किसी कक्षा में कई मातृभाषाओं के बच्चे हैं, तो स्थानीय स्तर पर प्रचलित भाषा में उन्हें पढ़ाया जाना चाहिए। इसको आर-1 कहा गया है। आर-1 के द्वारा ही बच्चों को अन्य विषय पढ़ाने चाहिए या दूसरी भाषा (आर-2) सिखाई जानी चाहिए। जब बच्चा आर-1 और आर-2, दोनों भाषाएँ एक बार सीख ले तो अन्य विषयों को किसी भी भाषा में पढ़ाया जा सकता है।...
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पृष्ठ क्र. 10

सम्पूर्ण सृष्टि में मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो इस धरती पर आत्म ज्ञान के द्वारा आत्म कल्याण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जन्म लेता है किन्तु संसार के भौतिक सुखों की चकाचौंध में भटक कर अपने आत्म कल्याण के लक्ष्य को भूल जाता है और जन्म-मरण के चक्र में फंस कर रह जाता है।...
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पृष्ठ क्र. 12

मेरा स्वयं पर बहुत कम नियंत्रण था। जब भी कोई कठिनाई आती, मैं असहज हो जाती। मैं काम बीच में ही छोड़ देती थी। याद रखें, अगर आप कुछ अर्थपूर्ण प्राप्त करना चाहते हैं तो चुनौतियाँ आएँगी ही, इससे बचा नहीं जा सकता। आवश्यक है कि आप अपनी बेचैनियों के साथ आगे बढ़ना सीखें।...
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पृष्ठ क्र. 44

बच्चों को स्कूल भेजने से पहले माता-पिता को कम-से-कम उनका ब्लड टेस्ट, चेस्ट-एक्स-रे, रक्तदाब, शुगर व कोलेस्ट्रॉल का स्तर और ईको-कार्डियोग्राम अवश्य कराना चाहिए। स्कूल प्रशासन को भी साल में एक बार बच्चों का हेल्थ चेकअप कराना चाहिए। जो बच्चे खेलकूद जैसी गतिविधियों में भाग लेते हैं,...
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