अनुक्रमणिका
पृष्ठ क्र. 6

विश्व चेतना में सत्व का स्तर बनने से और जैसे-जैसे वेद विज्ञान विद्यापीठ के विद्यार्थियों की संख्या बढ़ेगी वैसे-वैसे विश्व चेतना में प्रतिदिन प्रातः सायं इनके संयम के अभ्यास से वो परत की परत सतोगुण की विश्व चेतना में बढ़ती जाएगी और वो दिन दूर नहीं है जब यहाँ की शिक्षा पद्धति में जो साधना का तत्व है, जो एक समन्वय तत्व है, जो एक वेद तत्व है...
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पृष्ठ क्र. 8

अगर भारत अपने बच्चों को एआई में प्रवीण बना ले, तो इन उपकरणों से डरने के बजाय इनमें महारत प्राप्त करने के लिए एक निर्णायक बढ़त प्राप्त की जा सकती है। ऐसा न मात्र शिक्षा में, बल्कि उद्यमिता, अनुसंधान, शासन और वैश्विक प्रभाव बनाने में भी किया जा सकता है। हमें परंपरा और प्रौद्योगिकी के बीच चयन नहीं करना है, बल्कि हमें प्राचीन ज्ञान को भविष्य की सोच के साथ जोड़ देना है। यह हम कर सकते हैं, क्योंकि इसमें हमने सदैव अच्छा किया है।...
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पृष्ठ क्र. 10

सुसंस्कारों का बीज बाल्यकाल में ही अच्छे प्रकार से हो सकता है। माता-पिता एवं गुरुजन बच्चों के मन-मस्तिष्क पर अपने विचारों तथा आचरण के द्वारा सुसंस्कारों का बीजारोपण कर सकते हैं। वैसे तो किसी भी आयु में सुसंस्कारों को अर्जित किया जा सकता है।...
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पृष्ठ क्र. 12

कभी-कभी कुछ चीजें हम इसलिए सहेज कर नहीं रखते क्योंकि वह हमें पसंद होती हैं। हम उन्हें इसलिए संभाल कर रखते हैं, क्योंकि हम वैसा बनना चाहते हैं। जैसे स्कूल में मैंने एक बाजा खरीदा था, क्योंकि मैं एक प्रसिद्ध वादक जैसा बनना चाहती थी। पर मैंने असल में कभी उसे बजाने का अभ्यास ही नहीं किया।...
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पृष्ठ क्र. 44

कुछ शोधों में पाया गया है कि बच्चों को अच्छी बातें सिखाने में सकारात्मक और प्रेरक कहानियाँ बहुत काम आती हैं। जैसे मात्र यह कहना कि, ?झूठ बोलना एक बुरी आदत है? की बजाय ईमानदारी के लाभ वाली कोई कहानी उन्हें अधिक आकर्षित करेगी। मात्र शब्दों से समझाने की बजाय उन्हें ऐसी घटनाओं या पुस्तकों से अवगत करवाएँ।...
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