अनुक्रमणिका
पृष्ठ क्र. 6

कलियुग का प्रभाव जो भी हुआ हो, लेकिन सारे कलियुग का प्रभाव सारे विश्व में हो, किन्तु गुरु देव की कृपा सर्वोपरि है। वह सारे कलियुग के प्रभाव को मिटा देने में समर्थ है। गरुुकृपा सेप्रत्येक व्यक्ति के लिए अन्तर्मुखता इतनी सरल हो गई है, जिसके कारण व्यवहार की पूर्णता , व्यवहारिकता, सर्व समर्थता सबके लिए इतनी सरल हो गई है जिसका हिसाब नही...
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पृष्ठ क्र. 8

स्कूलों या महाविद्यालयों की कक्षाओं में नैतिकता, मानवीय मूल्यों की आवश्यकता पर अपने प्राध्यापक का प्रभावशाली भाषण सुनकर आया युवक जब संसद की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देखता है और पाता है कि वहां तो सब कुछ उससे विपरीत हो रहा है, जो उसे सिखाया-पढ़ाया गया है, तब उसकी वैचारिकता सही और गलत के बीच हिचकोले खाने लगती है।...
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पृष्ठ क्र. 10

प्रकृति के समस्त प्राणियों में मानव सर्वश्रेष्ठ, नैतिक बोध युक्त एवं वाणी के अनमोल वरदान से सम्पन्न है। ईश्वर ने मानव को आत्मज्ञान की प्राप्ति के लक्ष्य को देखकर इस पृथ्वी पर भेजा है किन्तु वह संसार में भौतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के मायाजाल में फंसकर अपने वास्तविक लक्ष्य से भटक जाता है। भारतीय संस्कृति प्रारंभ से ही ज्ञान प्रधान रही है।
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पृष्ठ क्र. 12

मूड में भारी परिवर्तन, हर समय थका हुआ रहना, दूसरों को यह दिखाने का बहुत प्रयास करना कि उनका जीवन कितना परफेक्ट है, और दूसरों से अलग-थलग रहना... ये कुछ संकेत हैं, जिनसे पता चलता है कि कोई प्रसन्नता का दिखावा कर रहा है।
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पृष्ठ क्र. 44

लिम्फोमा मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। हॉजकिन लिम्फोमा (एचएल) बच्चों में बहुत सामान्य हैं, यह 15 वर्ष या उससे कम आयु के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। यह खासतौर पर शरीर के ऊपरी हिस्से मसलन, गर्दन, छाती व बगल में उभरता है।...
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